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रायपुर,रमज़ान वह मुबारक महीना है जिसमें हर मुसलमान को आत्मशुद्धि का मौका मिलता है इस महीना में मुसलमान सभी बुराई से रुक जाता है !
रमजान का महीना पूरी फ़िज़ा को नेकी और परहेज़गारी की रूह से भर देता है! हर शख्स न सिर्फ खुद गुनाहों से बचने की कोशिश करता है, बल्कि अगर उसमें कोई कमजोरी होती है तो उसके दूसरे बहुत-से भाई जो उसी की तरह रोजेदार हैं, उसके मददगार बन जाते हैं। हर आदमी को रोज़ा रखकर गुनाह करते हुए शर्म आती है और हर एक के दिल में खुद ही यह ख़्वाहिश उभरती है कि कुछ भलाई के काम करे, किसी ग़रीब को खाना खिलाए, किसी जरूरत मंद को कपड़ों से मदद करें , किसी दुखी की मदद करे, किसी जगह अगर कोई नेक काम हो रहा हो तो उसमें हिस्सा ले और अगर कहीं खुल्लम-खुल्ला बुराई हो रही है तो उसे रोके।
दरअसल मुसलमानों के लिए रमजान एक ट्रेनिंग का महीना होता है जिसमें वह सभी तरह की बुराई से अपने आपको पवित्र कर लेता ताकि बचें हुए 11 माह में भी वह झूठ , धोखा , चुगली, किसी के बारे में गलत बात करना , किसी से नफरत करना , शराब , जुआ यहां तक कि अपने आपको हर बुराई से रोक कर अपने पालनहार के बताए हुए मार्ग पर जीवन जीने का प्रयास करता रहे ! वाहिद सिद्दीकी ने बताया कि रोज़ा गुनाहों से बचने की ढाल है ! हज़रत मुहम्मद (सल्ल०) ने बताया कि रोज़ा ढाल की तरह हैं (कि जिस तरह ढाल दुशमन के वार से बचने के लिए है उसी तरह रोज़ा भी शैतान के वार से बचने के लिए है) इसलिए जब कोई शख़्स रोज़े से हो तो उसे चाहिए कि दंगे-फ़साद से परहेज़ करे। अगर कोई शख़्स उसको गाली दे या उससे लड़े तो उसको कह देना चाहिए कि भाई ! मैं रोज़े से हूँ ! (हदीस शरीफ)
रमज़ान हमें समानता की भी शिक्षा देता है नेकी की ख़्वाहिश
दूसरी हदीसों में हुजूर (सल्ल०) ने बताया है कि रोज़े की हालत में आदमी को ज़्यादा-से-ज्यादा नेक काम करने चाहिएँ और हर भलाई का शौक़ीन बन जाना चाहिए। खासकर इस हालत में उसके अन्दर अपने दूसरे भाइयों की हमदर्दी का जज्बा तो पूरी शिद्दत के साथ पैदा हो जाना चाहिए, क्योंकि वह खुद भूख-प्यास की तक़लीफ़ में मुब्तला होकर ज़्यादा अच्छी तरह महसूस कर सकता है कि ख़ुदा के दूसरे बन्दों पर ग़रीबी और मुसीबत में क्या गुज़रती है ! इसीलिए आमतौर से इस महीने में समाज में गरीबों के लिए दान देना बहुत बढ़ जाता है !
आप सभी मुस्लिम भाई बहनों से अपील करता हु कि इस बार आप अपनी ज़कात की रकम का सही जगह इस्तेमाल करें जिससे समाज में बदलाव आए ! आप लोगों के लिए कुछ ऐसे काम है जिन्हें आप खुद अंजाम दे सकते हैं !
- आपके राज्य छत्तीसगढ़ में जमात ए इस्लामी हिन्द ने बैतूलमाल का निजाम पिछले कई सालों से चला रही है जिसमें उसने बहुत अहम अहम काम किया है , अगर आप ख्वाहिश मंद हो कि आपका पैसा सही जरूरतमंदो तक पहुंचे तो आप अपनी जकात का कम से कम 20 -30 फीसद जमात ए इस्लामी हिन्द , छत्तीसगढ़ को दे सकते हैं !
- आप अपने परिवार /खानदान के सभी लोग मिलकर अपनी जकात की रकम को एक जगह जमा कर लें और खानदान के ही दूसरे जरूरतमंद लोगों को मुंतखब करें और उनकी जरूरत के मुताबिक उस पैसे से उनकी मदद करें ! मिसाल के तौर पर
(1) बच्चों की एडमिशन से ले कर उनकी फीस और उनकी पढ़ाई यहां तक करवाएं कि वह खुद मुख्तार हो सकें !
(2) अगर बेवा या तलाक़ शुदा औरत हो तो उनकी ऐसी मदद करें कि वह खुद मुख्तार हो जाएं !
(3) कोई ऐसा बुजुर्ग मर्द या औरत हो जो काम नहीं कर सकतें हों तो ऐसे लोगों के लिए हर माह खाने के लिए राशन और दवा का इंतेज़ाम करें !
(4) जिन बच्चों का पढ़ने में दिल नहीं लगता है उन्हें कोई टेक्निकल स्किल सिखाएं !
(5) खानदान के वैसे अफ़राद जिनकी उमर पढ़ने और काम सीखने का निकल गया हो उन्हें अच्छी खासी रकम के साथ तिजारत शुरू करवाएं!
(6) अगर आपके रिश्तेदार या खानदान में ऐसे लोग न मिलें तो अपने पड़ोस और मुहल्ले में मदद करें !
इसके आलावा भी कई ऐसे काम हो सकते हैं जिनकी जरूरत फौरन आ जाए तो आप अपनी जकात की रकम का बजट बना लें और सभी खानदान के लोग यह तय कर लें कि किस मद में कितनी रकम खर्च करनी है !
उक्त बातें जमात ए इस्लामी हिन्द , छत्तीसगढ़ के मीडिया सेक्रेटरी अब्दुल वाहिद सिद्दीकी ने इस्तकबाले रमज़ान के प्रोग्राम में लोगों को संबोधित करते हुए कहा !