
रायपुर,भारत में स्वास्थ्य सेवाओं को सुलभ और किफायती बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए रक्तदान सेवा समिति, छत्तीसगढ़ के संस्थापक और समाजसेवी मुस्तफीज आलम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर ब्लड प्रोसेसिंग शुल्क को समाप्त करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि रक्त जीवन का आधार है और प्रत्येक नागरिक को इसे प्राप्त करने का अधिकार होना चाहिए, लेकिन वर्तमान में सरकारी और निजी ब्लड बैंक ब्लड प्रोसेसिंग चार्ज के नाम पर ₹800 से ₹2000 तक की राशि वसूलते हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों को भारी आर्थिक बोझ उठाना पड़ता है।
मुस्तफीज आलम ने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि लाखों लोग निःस्वार्थ भाव से रक्तदान करते हैं, लेकिन इसके बावजूद जरूरतमंदों को रक्त प्राप्त करने के लिए बड़ी रकम चुकानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि रक्तदान एक मानवीय सेवा है, लेकिन जब ब्लड बैंक इसे ऊंची कीमत पर बेचते हैं, तो यह समाज के गरीब तबके के लिए एक गंभीर समस्या बन जाती है। कई बार दुर्घटनाओं, प्रसव, कैंसर, सर्जरी और अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों को तत्काल रक्त की आवश्यकता होती है, लेकिन ब्लड प्रोसेसिंग शुल्क की अधिकता के कारण वे समय पर रक्त नहीं खरीद पाते।
उन्होंने यह भी चिंता व्यक्त की कि ब्लड बैंक प्रणाली में पारदर्शिता की कमी के कारण कई जगहों पर दलाल सक्रिय हो गए हैं, जो मरीजों से ऊंची कीमत वसूलते हैं। यह न केवल नैतिक रूप से गलत है, बल्कि गरीब मरीजों के लिए बेहद अन्यायपूर्ण स्थिति भी है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस विषय पर गंभीरता से विचार करना चाहिए और ब्लड बैंक प्रणाली को पारदर्शी बनाने के लिए सख्त नियम लागू करने चाहिए।
मुस्तफीज आलम ने प्रधानमंत्री से कई महत्वपूर्ण मांगें रखीं, जिनमें प्रमुख रूप से ब्लड प्रोसेसिंग शुल्क को पूरी तरह समाप्त करने की बात कही गई है। उन्होंने सुझाव दिया कि सरकारी अस्पतालों में गरीबी रेखा से नीचे और निम्न मध्यम वर्ग के मरीजों को निःशुल्क रक्त उपलब्ध कराया जाए, ताकि वे बिना किसी आर्थिक परेशानी के अपना इलाज करा सकें। इसके साथ ही उन्होंने ब्लड बैंक के परिचालन खर्चों को कम करने के लिए सरकारी सब्सिडी देने की मांग की, जिससे ब्लड बैंक बिना किसी आर्थिक दबाव के रक्त उपलब्ध करा सकें।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी सरकारी और निजी ब्लड बैंक को एक केंद्रीकृत डिजिटल नेटवर्क से जोड़ा जाए, ताकि रक्त की उपलब्धता और वितरण पूरी तरह पारदर्शी हो सके। इससे मरीजों को यह जानकारी मिल सकेगी कि किस ब्लड बैंक में कौन-से ब्लड ग्रुप की उपलब्धता है और वे बिना किसी दलाल के सीधे वहां से रक्त प्राप्त कर सकेंगे।
रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए उन्होंने यह सुझाव दिया कि रक्तदान करने वालों के लिए सरकारी प्रमाणपत्र, स्वास्थ्य बीमा में विशेष छूट या अन्य सुविधाएं दी जाएं, ताकि अधिक से अधिक लोग रक्तदान के लिए प्रेरित हों। इससे ब्लड बैंक में रक्त की उपलब्धता भी बढ़ेगी और जरूरतमंदों को समय पर रक्त मिल सकेगा।
मुस्तफीज आलम ने कहा कि भारत में हर वर्ष लाखों लोग रक्त की अनुपलब्धता के कारण असमय मृत्यु का शिकार हो जाते हैं। यदि सरकार ब्लड शुल्कों में कटौती करती है और पारदर्शिता लाती है, तो यह लाखों गरीब मरीजों के लिए जीवनदायिनी पहल साबित होगी। उन्होंने प्रधानमंत्री से इस विषय पर तत्काल संज्ञान लेने की अपील की, ताकि भारत के नागरिकों को स्वास्थ्य सुरक्षा प्रदान करने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा सकें।
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि केंद्र सरकार इस गंभीर विषय पर क्या निर्णय लेती है और क्या आम जनता को ब्लड शुल्क में राहत मिल सकेगी। इस मुद्दे पर जागरूकता बढ़ाने और सरकारी स्तर पर कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए सामाजिक संगठनों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और आम नागरिकों को भी आगे आने की आवश्यकता है, ताकि हर जरूरतमंद को समय पर रक्त मिल सके और कोई भी आर्थिक अभाव के कारण जीवन न गंवाए।